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हम लिखैत छी कविता / उदयचन्द्र झा ‘विनोद’
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म लिखैत छी कविता
सूर्यकेँ अर्घ्य दैत छी
ककरो किछु फर्क भने नइँ पड़ौक
हमरा पड़ैत अछि
अहाँ पढ़ू वा नहि
हमरा लिखय पड़ैत अछि
हमरा लेल कविता लिखब
आइयो अछि आवश्यक
परमावश्यक अछि जीवाक लेल।