Last modified on 4 जून 2014, at 01:07

आधुनिक स्त्रीगण ३ / कामिनी कामायनी

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:07, 4 जून 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कामिनी कामायनी |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

पिकी पाड़ैत छौड़ाकेँ नोचलक टीक जखन
किओ ने दूर छी कहलकै,
सब धैलकै ओकर मान
आबै छै ओकरा मचबए सोर
देखिकऽ चोर ।
करै छै निधोक भऽ भाय,बाबूसँ गप्प
देखै छै टीवी बुझै छै कानून दंड संहिता
छेड़छाड़ ,बलात्कारी केँ
ताड़ै छै दस लग्गी फराके सँ
चलै छै झुण्डमे जेना मृग,गज
धुक धुकी करेजक,भगबे छै स्वासक जोरसँ
नाचै मजूर बनि, मुदा ओहिने चौकन्ना।
नइ सुनबै छै किओ आब फकड़ा सभ ,सोन बराबरि हेबाक
देखैत छै सपना ओहो जीवन सुधारबाक
सोचै छै वैज्ञानिक, समाजशास्त्रीक धारपर
संघर्ष जीवनकेँ आगाँ बढ़ेबाक नाम छै
तखन ओ किए नै निहारe पूर्ण चान केँ।
नव संविधानक प्रस्तावना लए जे बेकल
ओ समाज आइ ओकर भूमिका गढ़ि रहल।
साम सँ नै दाम सँ दंड सँ नै भेद सँ
दीपदान करि रहल बाटकेँ प्रकाशमान।
पीठ पर ओकर अछि गार्गी, मैत्रेयी, सीताक अतीत
नब जुगक कथा जागृतिक सूर्य भेल
हाथमे रुमाल छै
तँ दोसरमे मशाल सेहो
आँखिमे आँखि देने
समयसँ ओ पूछि रहल
कोन एहेन विषम मार्ग
जइ पर हम नै चलि सकब?