भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
नभ, अनिल, अनल, जल, पृथ्वी, रवि-शशि-तारे / हनुमानप्रसाद पोद्दार
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:28, 8 जून 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हनुमानप्रसाद पोद्दार |अनुवादक= |स...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(तर्ज लावनी दूसरी-ताल कहरवा)
नभ, अनिल, अनल, जल, पृथ्वी, रवि-शशि-तारे।
सब जीव चराचर दिशा-द्रुमादिक सारे॥
सर-सरिता-सागर सब कुछ श्रीहरि का तन।
यह जान करे सबका अनन्य अभिवन्दन॥