भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
भजहिं भावजुत जे सदा / हनुमानप्रसाद पोद्दार
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:07, 9 जून 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हनुमानप्रसाद पोद्दार |अनुवादक= |स...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(राग-देश)
भजहिं भावजुत जे सदा भक्त और भगवंत।
प्रभु-पद-सेवा बिमल ते पावहिं दुर्लभ संत॥