पलाश दहके हैं
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रचनाकार | धनंजय सिंह |
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प्रकाशक | शुभम् प्रकाशन, नवीन शाहदरा, दिल्ली-110032 |
वर्ष | 1997 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | कविताएँ |
विधा | |
पृष्ठ | 72 |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- उग आई नागफनी / धनंजय सिंह
- मौन की चादर बुनी है / धनंजय सिंह
- नींदों के सिमट गए माप / धनंजय सिंह
- लौटना पड़ेगा फिर-फिर घर / धनंजय सिंह
- बेच दिए हैं मीठे सपने / धनंजय सिंह
- जंगल उग आए / धनंजय सिंह
- दिन क्यों बीत गए / धनंजय सिंह
- प्रहर-दिवस-मास-वर्ष बीते / धनंजय सिंह
- अब डर लग रहा है / धनंजय सिंह
- झाँकते हैं फिर नदी में पेड़ / धनंजय सिंह
- शहर बहुत दूर है / धनंजय सिंह
- क्या सुनाऊँ / धनंजय सिंह
- कक्षा से भटका हुआ उपग्रह हूँ / धनंजय सिंह
- फँस गई है छपछपाती नाव / धनंजय सिंह
- फिर सूख गई मौसमी नदी / धनंजय सिंह
- फूल सरसों के / धनंजय सिंह
- हो गया दक्षिण स्वयं ही वाम / धनंजय सिंह
- फूटा गीत नया / धनंजय सिंह
- ज्यों डूबे जहाज़ का पंछी / धनंजय सिंह
- फिर उतर आई वनों में साँझ / धनंजय सिंह
- पानी में पत्थर की नाव / धनंजय सिंह
- उतर गए चीलों के झुण्ड / धनंजय सिंह
- डाली-डाली पलाश दहके हैं पर... / धनंजय सिंह
- स्वप्निल आकांक्षा / धनंजय सिंह
- आ न सकूँगा / धनंजय सिंह
- चन्दन-वन महकने लगा / धनंजय सिंह
- ध्वन्यालोकी प्रियम्वदाएँ / धनंजय सिंह
- डायरी के किसी पृष्ठ पर / धनंजय सिंह
- सीमाब से गुज़रता हूँ / धनंजय सिंह
- अब तो सड़कों पर / धनंजय सिंह
- धुन्धमय आकाश का मौसम / धनंजय सिंह
- छा गई चुप्पी / धनंजय सिंह