Last modified on 14 जून 2014, at 06:29

विवशता / सुलोचना वर्मा

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:29, 14 जून 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुलोचना वर्मा |अनुवादक= |संग्रह= }} {...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

कांतिहीन विवशता मे
आशा की एक किरण बनकर
ज़िंदगी के हाशिए पे
लिखी गयी तस्वीर हो तुम

जीवन के अंतिम क्षण मे
साँसों की एक धार बनकर
ज़िंदगी के राह पर
कही गयी तदबीर हो तुम

कही प्रत्यक्ष, कहीं अंधकार मे
एक महज मज़बूरी बनकर
जीवन के हर मोड़ पर
बँधी हुई ज़ंज़ीर हो तुम

छूट ना सके किसी भी पल मे
जलती हुई चिंगारी बनकर
अंतः मे दबी हुई और
छुपी हुई जागीर हो तुम