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प्राणिमात्र में बस रहे एकमात्र भगवान / हनुमानप्रसाद पोद्दार

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(राग पीलू-ताल कहरवा)
 
प्राणिमात्रमें बस रहे एकमात्र भगवान।
नमन नित्य करना उचित, सेव्य उन्हें नित मान॥
सर्वभूत-हितमें सदा लगें देह-मन-प्राण।
धन-सम्पत्ति, समृद्धि सब, मिले तभी कल्याण॥
मनमें भी आ जाय यदि प्राणी-‌अहित-विचार।
है भगवत्‌‌-‌अपराध वह, दूषित पापाचार॥
व्यक्ति-स्वार्थने खा लिया प्राणि-जगत का स्वार्थ।
मानव दानव बन गया, भूल गया परमार्थ॥