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कुण जमीन रो धणी / कन्हैया लाल सेठिया

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कुण जमीन रो धणी ?

हाड़ मांस चाम गाळ
खेत में पसेव सींच,
लू लपट ठंड मेह
सै सवै दांत भींच,
फाड़ चौक कर करै जोतणी’र बोवणी
बो जमीन रो धणी’क ओ जमीन रो धणी ?

मद पिवै उड़ै मजा
करै जुलम सैंकड़ी,
ठग बण्या ठाकरां
हिद हुई हैंकड़ी,
रात दिन रैत नैं लूंटणी’र खोसणी,
ओ जमीन रो धणी’क बो जमीन रो धणी ?

हळ जुप्यो जद बिक्या
फूस पान टापरो,
पेट काट बीज री
करी जुगाळ बापड़ो,
पड़ी छांट कया हरख रामजी भली सुणी,
ओ जमीन रो धणी’क बो जमीन रो धणी ?

खड़ी फसल करा कुड़क
भरै ब्याज बाणियूं,
बळद बेच ब्याज रै
ब्याज नै उधाणियूं,
राज सीर चोर कै के करै’र करसणी,
ओ जमीन रो धणी’क बो जमीन रो धणी ?
कुण जमीन रो धणी ?