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सोचवा री वात / कुंदन माली

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भगवान
जनाबर रो जमारो
देईन, गदेड़ा नै
अेक ईज़ सरत पे
संसार मैं मेल्यो
के’ वो आपणै
जीवते जीव
वणती कोसिस
प्रजापत रो
बोझ ढोवैला

पण
अेक गदेड़ा रे
मरवा पछै
प्रजापत री चाक
प्रजापत रो भाग
प्रजापत रो अवाड़ो
भगवान रो अखाड़ो
ठप्प तो नीं
होवैला ?