भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

लाडो मँगणा हो / खड़ी बोली

Kavita Kosh से
Rameshwarkamboj (चर्चा) द्वारा परिवर्तित 21:36, 21 दिसम्बर 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} रचनाकार: अज्ञात [ [लड़की की इच्छाएँ/ अज्ञात ]] ~*~*~*~*~*~*~*~~*~*~*~*~*~*~*~ लाड्डो म...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

रचनाकार: अज्ञात

[ [लड़की की इच्छाएँ/ अज्ञात ]]

~*~*~*~*~*~*~*~~*~*~*~*~*~*~*~

लाड्डो मँगणा हो सो माँग

राम रथ हाँक दिए।

मैं तो माँगूँ अयोध्या का राज

ससुर राजा दशरथ से ।

लाड्डो मँगना हो सो माँग

राम रथ हाँक दिए।

मैं तो माँगूँ कौशल्या –सी सास

देवर छोटे लछमन से ।

लाड्डो मँगना हो सो माँग

राम रथ हाँक दिए।

मैं तो माँगूँ श्रीभगवान

पलंगों पै बैठी राज करूँ ।

लाड्डो मँगना हो सो माँग

राम रथ हाँक दिए।