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हाथी और चूहा / प्रभुदयाल श्रीवास्तव

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दो चूहों को मिले सड़क पर,
काले हाथी दादा|
उन्हें देख बोला इक चूहा
क्या है यार इरादा?

कई दिनों से हाथ सुस्त हैं,
कसरत ना हो पाई|
क्यों ना हम हाथी दादा की,
कर दें आज धुनाई|

बोला तभी दूसरा चूहा,
उचित नहीं यह भाई|
किसी अकेले से दो मिलकर,
कर दे हाथापाई

दुनियाँ वालों को भी यह सब,
होगा नहीं गवारा|
लोग कहेंगे दो सेठों ने,
एक गरीब को मारा|