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संगी सखि हे बहिना / मैथिली लोकगीत

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मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

संगी सखि हे बहिना
हम आइ देखल एक सपना
हे हम आइ देखल एक सपना
हमरो साजन बूढ़ बर छथि
मुखमे दांत एको नहि
पाकल-पाकल केश बूढ़ के
देखबामे केहनो नहि
नहि छनि बूढ़के घर-घरारी
नहि छनि केओ अपना
जे किछु बांचल छलनि बूढ़ के
ब्याहमे पड़लनि भरना
जखन बुढ़ा कोबर घर चलला
थर-थर कांपय बदनमा
जखनसँ देखल इहो सपन हम
झर-झार बहय नयनमा
संगी सखी हे बहिना
हे हम आइ देखल एक सपना