भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मचिया बैसलि अहाँ कनियां / मैथिली लोकगीत

Kavita Kosh से
Mani Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:17, 1 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=मैथिली |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह= बिय...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

मचिया बैसलि अहाँ कनियां से कनियां सुहबे
झाड़थि नामी नामी केश हे
पलंगा बैसल अहाँ दुलहा से फल्लां दुलहा
निहारथि बदनि शरीर हे
जेहो किछु मांगब धनि सेहो किछु मांगि लीअ
इहो थिक कोबरक रीत हे
एक तऽ मंगइ छी प्रभु डुमरीक फुलबा
दोसर बधक दूध हे
बारह बरख हम निकुंजवन सेवल
तइयो नहि मिलल डुमरीक फूल हे
बारह बरख हम निकुंजवन सेवल
तइयो ने मिलल बाघक दूध हे
हाटे बजार सौं सिनूर मंगायब
दूनू मिल भोगब संसार हे
हाटे बजार सँ मधुर मंगायब
दूनू मिलि जोड़ब सिनेह हे