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उठू-उठू सुन्दरि जाइ छी विदेश / मैथिली लोकगीत
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मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
उठू-उठू सुन्दरि जाइ छी विदेश
सपनहुँ रूप नहि भेटत उदेश
से सुनि सुन्दरि उठली चेहाय
पहुक वचन सुनि बैसली झमाय
उठइत उठली, बैसली मान मारि
विरहक मातलि, खसली हिया हारि
कहथि रमापति सुनू ब्रज नारि
धैरज धय रहु, भेटत मुरारि