भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अवध नगर लागु रतनक पालना / मैथिली लोकगीत
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:05, 1 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=मैथिली |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह=ऋतू ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
अवध नगर लागु रतनक पालना, झूलय राम सिया संग मे
चैत चकोर समान सखि रे, मालती आशा लेल कर मे
नित नव सुरति निरेखू रघुवर के, पलको ने लागय मोर नयन मे
आयल बैसाख सकल पुर-परिजन, औल पड़य तन-मन मे
चानन अतर गुलाब काछि कय, सींचय प्रभुजी के गातन मे
जेठ मास भरि कनक कटोरी, लय मिश्री पकवानन मे
रुचि रुचि भोजन करू रघुनन्दन, बिजुरी छिटकि रहू दांतना मे
आयल अषाढ़ घेरि घन बदरी, पवन बहय पुरिबाहन मे
दान देहू रनिवास राजा मिलि, प्रेमलाल हरषे मन मे