भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पैंताळीस / प्रमोद कुमार शर्मा

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:16, 3 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रमोद कुमार शर्मा |संग्रह=कारो / ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ओळै-दोळै
झांझरकै-झांझरकै ई
काट आवै चक्कर अेक गळियां रो
-सबद
सांवरो देवण नै पतियारो

कारो!!
मचज्यै चौरासी री जूण मांय
सांस बापरै मरतोड़ी हूण मांय
सूरज बणज्यै
-समद।