भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सित्तर / प्रमोद कुमार शर्मा

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:06, 4 जुलाई 2014 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बै बोलै भोत है
टेलीविजन रै पड़दै ऊपर
-हिड़दै ऊपर
आपणै पड़ै ठाडो परभाव खतरनाक
कदैई कटज्यै हाथ-पैर, कदैई कटज्यै नाक!

पछै भी आ चित्रावली आपांनै पसंद है
पण अेक उदास भाखा ई कैसी
-ओ कैड़ो दंद-फंद है
बीं दिन भाखा विधवा हूसी
-बिड़दै ऊपर।