भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
रास्ता / अंजू शर्मा
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:48, 4 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अंजू शर्मा |अनुवादक= |संग्रह=कल्प...' के साथ नया पन्ना बनाया)
वह हैरान है,
प्रलोभनों की रंगीन पतंगें
उसके मुंह फेर लेने पर
क्यों बदल जाती हैं
धमकियों और साजिशों के
उकाबों में,
वायदों से सजी
और ऊँचाइयों के ख्वाब दिखाती,
सदैव प्रस्तुत वे सीढियां,
अनदेखा करने पर
क्यों बदल जाती हैं
कीचड भरे, आरोपों से मलीन
गंदे रास्तों में,
एक औरत का स्वयं अपना
रास्ता चुनना
क्या सचमुच इतना दुष्कर है...