भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
वे दरख़्त / सीमा 'असीम' सक्सेना
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:51, 4 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सीमा 'असीम' सक्सेना |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पन्ना बनाया)
उन दरख्तों का तिलिस्मी साया
जकड लेता है अपनी छाँव तले
भर देता है अहसास
सुस्ताने का कुछ पल ठिठक जाने का
बिछा देता है नर्म मुलायम कोमल पत्तियां
प्रेम की सलाखों पर चले पावों के नीचे
उसूल गुरुर को तोडकर
काल्पनिक स्वप्निल हयात में विचरते हुए
दुआओं को उठ जाते है हाथ
उनकी सलामती को
संतुष्टि को खुशहाली को!!