जनक नगर सँ चलली हे सीता / मैथिली लोकगीत

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मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

जनक नगर सँ चलली हे सीता, आमा देलनि रोदना पसार
के मोरा सीता लए बसिया जोगएती, के मुख करत दुलार
ककरा लग भए बैसती हे सीता, ककरा लग हयती ठाढ़
ककरा लग भए सूतती हे सीता, केये कहथि मन केर बात
कौशिल्या लग भए बैसती हे सीता, दशरथ लग हएती ठाढ़
रामचन्द्र लग सुतती हे सीता, लछुमन कहथि मन केर बात
कल जोड़ि मिनती करथि राजा दशरथ, सुनू जनक ऋषिराज
एकहि बेटी हुनि सीता दाइ, राखथु कौशल्या केर मान
वएह कौशल्या बसिया जोगएती, बएह मुख करत दुलार
घर आंगन अनचीन्ह होयतनि, अनचीन्हपुर नर नारि
दिवस बिताय कोना कऽ रहती, जाइ छथि जनक दुलारि

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