भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सूतल छलहुँ बाबा के हबेलिया / मैथिली लोकगीत
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:18, 4 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=मैथिली |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह= बिय...' के साथ नया पन्ना बनाया)
मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
सूतल छलहुँ बाबा के हबेलिया, अझके मे आबि गेल कहार
लाले लाले छोलिया, सबुजे रंग ओहरिया, लागि गेल बतिसो कहार
माय-बाप मिलि एक मति कयलनि, डोलिया देलनि पड़साय
लए दए निकसल बिजुवन सखिया, जाहि वन माय न बाप
एक कोस गेली सीता दुइ कोस गेली, तेसरमे फेकल ओहार
घुरि जाउ भइया कि घुरि जाउ लोकनियां, अम्मा के कहबनि बुझाय
अम्मां के कहबनि पाथर भए बइसती, हमहुँ बइसब हीया हारि
भनहि विद्यापति गाओल समदाउन, सभ बेटी सासुर जाइ