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मोटी मोटी बून्दां झले पै आई / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
मोटी मोटी बून्दां झले पै आई
तो गाबरू नै चाद्दर ताणी, हो मन्ने तेरी सोंह
जद वोह् चाद्दर भीजण लागी
तो गाबरू नै छतरी ताणी, हो मन्ने तेरी सोंह
जद वोह् छतरी भीजण लागी
तो गाबरू नै बैल जुड़ाई, हो मन्ने तेरी सोंह
बाजणी सी बैल बिदकणे से नारे
तो गाबरू नै बांह तुड़ाई, हो मन्ने तेरी सोंह