भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अति प्रसन्न-मन जनक / हनुमानप्रसाद पोद्दार
Kavita Kosh से
Mani Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:40, 10 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हनुमानप्रसाद पोद्दार |अनुवादक= |...' के साथ नया पन्ना बनाया)
अति प्रसन्न-मन जनकराज ने विधिवत कर सारे आचार।
चारों कन्याएँ कीं अर्पण, चारोंको शुचि सालङ्कार॥
रामभद्र को सीता दी, दी लक्ष्मण को उर्मिला अमन्द।
दी माण्डवी भरत को, दी श्रुतिकीर्ति शत्रुहन् को सानन्द॥
ऋषियों ने सविधान कराया चारों का विवाह-संस्कार।
जनकपुरी में सारे जग में ही छाया आनन्द अपार॥