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हे री खत भेज रही पीहर मैं / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
हे री खत भेज रही पीहर मैं
रे बीरा छूछक ल्याइए रे
सास का ल्याइयो रे बीरा
मेरा सुसरे का ल्याइयो रे
चूँदड़ी जरद रंगाइयो रे
चीट्ठी भेज रही...
जेठाणी का ल्याइरो रे बीरा
मेरा जेठ का ल्याइयो रे
रे मेरा देवर सै हुंसिआर
गेंद उसकी बी ल्याइयो रे
चीट्ठी भेज रही...
रे मेरे चंचल बीरा
बलम का साफा हर्या रंगाइयो रे