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कचनार बैठी लाडो पान चाब / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
कचनार बैठी लाडो पान चाब
करै बाबा जी से बिनती
बाबा देस जइयो परदेस जइयो
हमारी जोड़ी का वर ढूंढियो
इक रैन रहियो उन का गोत पूछियो
तब मेरा वरण मिलाइयो
उकका बंस देखो रीति देखो
उनके संस्कार पता लगाइयो
जो हो वर गुनवान सुन्दर
तब ही जोड़ी मिलाइयो
बाबा बोले सुन लाडली
मत कर मन तू अनमना
हंस खेल री मेरी सर्वसुन्दर
ढूंढ़ा है फूल गुलाब का