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हरे हरे बांस छवाय दई राय बटियां / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
हरे हरे बांस छवाय दई राय बटियां
मेरे बाबा सोवें सुख नीन्द दादी रानी अरज करै
मेरी बन्नो भयी वर जोग सलोनी बेटी वर मांगै
सुन के बाबा हंसि पड़े और घुड़ला कस लिया
ढूंढा धुर गुजरात ढूंढा सारा मालवा
सहरों में बड़ा सहर आयोध्या नजर पड़ी
सजनों में बड़े सजन जंवाई रघुनाथ मिले