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छज्जै तो बेठी लाडो कुंवर निरखै / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
छज्जै तो बेठी लाडो कुंवर निरखै
यो वर बाबा जी सांवला
गाड़ियों के अलके छलके गरद उड़ती है
गरद उड़ती वर सांवले
रास्ते में बाबा ताल खुदाओ
न्हाये धोये वर ऊजले
कस्तूरी मंगाओ वर के अंग लगाओ
केसर पिलाओ वर के घोल कै
चन्दन मंगाओ उबटन मंगाओ
न्हाये धोये वर ऊजले