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लाडो पूछै बाबा से ए बाबा / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
लाडो पूछै बाबा से ए बाबा
मैं किस बिध देखण जाऊं
रंगीला आ उतर्या बागां मैं
हाथ टोकरियां फूलां की हे लाडो
मालणिया बन कर जाओ
रंगीला आ उतर्या बागां मैं
कच्ची कच्ची कलियां तोड़ लीं
अर मैं रिपट पड़ी री
मुखड़ा देख गया बागां मैं
बोल गया बतलाए गया
री म्हारे सावै धरी बनड़ी के
नजर लगाए गया बागां मैं