भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दादा जी नै गोद भरी मेवा सै / हरियाणवी

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:33, 11 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=हरियाणवी |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह=शा...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दाद जी नै गोद भरी मेवा सै
बापू जी ने गोद भरी मेवा सै
दादी जी नै रच रच हो मांग समारी
अम्मा जी नै रच रच हो मांग समारी
पूछत जनक कहो सिआ प्यारी
मामा जी ने गोद भरी लड्डूआं सै
फूफा जी नै गोद भरी लड्डूआं सै
मामी जी नै रच रच हो मांग समारी
बूआ जी नै रच रच हो मांग समारी
पूछत जनक कहो सिआ प्यारी