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मेरी मेहंदी के औड़े चौड़े पात / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
मेरी मेहंदी के औड़े चौड़े पात रे बीरा बारी बारी जां
मैं तो पीसूंगी चकले के पाट रे बीरा बारी बारी जां
मैं तो घोलूंगी हिरणी के दूध रे बीरा बारी बारी जां
मैं तो लाऊंगी देवेन्द्र भाई के हाथ रे बीरा बारी बारी जां