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चंचली घोड़ी चांदनी मथुरा तै आई / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
चंचली घोड़ी चांदनी मथुरा तै आई
ले मेरे बाबा मोल तेरी होगी बड़ाई
कितना लीली का मोल सै कितने में चुकाई
नौ सौ घोड़ी का मोल है दस सौ में चुकाई
चढ़ म्हारे लाडले तेरी देखें चतुराई
आप चतुर बन्ना लाडला पीछे सब भाई
दामां की बोरी खरचैं सब भाई
चंचल घोड़ी चांदनी मथुरा तै आई
(उपर्युक्त गीत का रूपान्तर निम्न प्रकार भी मिलता है)
एक घोड़ी मथुरा से आई
लेदे दादा तेरी याहे बड़ाई
के लख मोल सै के लख नै चुकाई
पीले बन्ना तेरे कपड़े नैना में स्याई
बाग पकड़ बन्ना चढ़ गया अपणी चतराई
आगै चतर बन्ना लाडला पाछै सब भाई
परस तलै कै लिकड़े देखैं सब लोग लुगाई
खूब बणे राव का बेटा जणू छेल सिपाई
दामां की बोरी भरी खर्ची सब भाई
सम्बंधी कै छोरी घणी ब्याओ सारे भाई