हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
घोड़ी सोवै दादा दरबार, बछेरी मेरै मन भावैगी
चरि आवै खेड़े की दूब, बछेरी मेरै मन भावैगी
पी आवै जमुना जल नीर, बछेरी मेरै मन भावैगी
घोड़ी सोवै ताऊ दरबार, बछेरी मेरे मन भावैगी
चरि आवै खेड़े की दूब, बछेरी मेरै मन भावैगी
पी आवै जमुना जल नीर, बछेरी मेरै मन भावैगी