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हे खड़िआं थी सिरस तलै / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
हे खड़िआं थी सिरस तलै मेरे सिर गोबर की हेलां
हे वै आवें थे च्यार जणे वे संझा मेरे बीरे
हे मैं भाजूं थी मिलण जुलण मेरा टूट्या नोसर हारा
रे तौं चुगदे रे चिड़ी चिड़कले कित ते आया बनजारा
हे आगम तै आए चिड़ि चिड़कले पाछम तै बनजारा
हे खड़ियां थी सिरस तलै मेरे सिर गोबर की हेलां