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मेरी तेरी कोन्या बणै रे मन ऊत / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
मेरी तेरी कोन्या बणै रे मन ऊत
कहूं सीधा तैं चालै आडा याहे बात कसूत
मेरी तेरी कोन्या बणै रे मन ऊत
तेरै संग मैं पांच भूतणी
कोन्या मानै रांड ऊतणी
तैं पाक्का सै भूत
मेरी तेरी कोन्या बणै रे मन ऊत
पांच चोर सै तेरे रे साथी
तेरी समझ में कोन्या रे आती
चौड़े लोआ दे जूत