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बागां मैं दुख सै बगीचां मैं दुख सै / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
बागां मैं दुख सै बगीचां मैं दुख सै
पेड़ कटै ए जद डालिआं मैं दुख सै
न्यूं मत जाणै ए बेबे
तालां मैं दुख सै ए कलिआं मैं दुख सै
ताल सुखए जद मछिआं मैं दुख सै
न्यूं मत जाणै ए बेबे
राणी मैं दुख सै रोहतास मैं दुख सै
भंगी घर पाणी भरै राजा मैं दुख सै
न्यूं मत जाणै ए बेबे
राम मैं दुख सै ए लिछमन मैं दुख सै
सीता हड़ी ए जद रावण मैं दुख सै
न्यूं मत जाणै ए बेबे