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खिल खिल गए दो दाणे अनार के / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
खिल खिल गए दो दाणे अनार के, हां हां खिल गए दो दाणे अनार के
मनैं नहाणा बणाया सभाल के, कैसे नहाऊं बिगैर दिलदार के
खिल खिल गए दो...
मनैं खाणा बनाया संभाल के, कैसे खाऊं बिगैर दिलदार के
खिल खिल गए दो...
मनैं चोपड़ सजाई संभाल के, कैसे खेलूं बिगैर दिलदार के
खिल खिल गए दो...