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अरे न्यूं रोवै बुड्ढा बैल / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
अरे न्यूं रोवै बुड्ढा बैल, मन्नै मत बेच्चै रे पापी
तेरे कुआं कोल्हू में चाल्या नाज कमा कै तेरे घरां घाल्या
इब्ब तन्नै करली सै बज्जर की छाती
तिरा बंज्जड़ खेत मन्नै तोड्या, गाड्डी तै मुंह ना मोड्या
इब्ब तै मेरी बेच्चै से माटी