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भीग-भीग कर झील / प्रेमशंकर शुक्ल
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पानी से जगमग झील
लहरें जिसका उत्सव रचती रहती हैं
बारिश की बूँदें
पानी से भेंटते हुए
बादलों का वृत्त्ाान्त कहती रहती हैं
आसमान बरसता है
पानी पर पानी
और झील
भीग-भीग कर
प्यार हो जाती है
बड़ी झील !
भावलीन तुम
और तुम्हारे प्र-भाव में
डूबा हुआ मैं
बड़ी झील !
तुम तक
आया मैं
फिर हींठि
दीदा फूटे उसका
लागे जिसकी
तुम पर दीठि