भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पसेनाक गुण-धर्म / यात्री
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:33, 16 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=यात्री |अनुवादक= |संग्रह=पत्रहीन ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
क्षार-अम्ल
विगलनकारी, दाहक
रेचक, उर्वरक...
रिक्शाबलाक पीठ दिशुका फाटल तार-तार बनियाइन
पसेनाक अधिकांश गुण धर्मकेँ
कए रहल अछि प्रमाणित
मोन होइए हमरा
विज्ञानक कोनो छात्रसँ जा कँए पुछिअइन-
बेशी सँ बेशी की सभ होइत छइक
पसेनाक गुण-धर्म!
रिक्शाबलाक पोठक चाम
आओर कते शुष्क श्याम हेतइ?
स्नयुतंतुक ऊर्जा आओर कते धरकतइ?
एहि नरवाहनक प्राणशक्ति आओर कते सिद्ध हेतइ?
आओर कत्ते
क्षार- अम्ल, दाहक - विगलनकारी...