भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

घन घमंड गरजए चहुँओर / यात्री

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:46, 17 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=यात्री |अनुवादक= |संग्रह=पत्रहीन ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

घन घमंड गरजए चहुँ ओर
कतए नुकाएल छथि चितचोर
दादुर धुनि सुनि फाटए कान
विरहक वेदन आन कि जान
दामिनि दमसए, फटए मोन
कन्तकथाक भरोसे कोन
हरिअर बाध कि हरिअर बोन
छीलल हिय पर छीटए नोन
सुनु सुनु भामिनि तजिअ ने आश
सुपुरूख नहि तोड़थि बिश्वास