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जेवर की झंकार नै डोब दिया / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
जेवर की झंकार नै डोब दिया हरियाणा
सगा सगी तैं कहण लाग्या मैं तेरी छोरी ब्याह कै ले ज्यांगा
वा बोलै तू मेरी छोरी ना ब्याह सकदा
तेरे पास टूम घणी घालण नै कोन्या
इतनी सुण कै सगा बोल्या इतना के मेरा घाट्टा सै
बीस तीन के गूदड़ गाभे तीस बीस की खाट सै
तीन सौ की झोटी घरां करै तो अरडाट सै
मैं तेरी छोरी ब्याह कै ले ज्यांगा
चाहै कितना कर लिये धिंकताणा
जेवर की झंकार ने डोब दिया हरियाणा