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गौरी रहथु कुमारी / कालीकान्त झा ‘बूच’
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हएत नहि ई वियाह हे,
गौरी रहथु कुमारी
बर बूड़ल बौराह हे,
धिया शुचि सुकुमारी
चामक सेज, कुगामक बासी
खन कैलाश, खनेखन काशी
लागथि बुत्त भुताह हे,
गौरी रहथु कुमारी
मुँण्डीक माल, ब्या ल तन मंडित
हस्ति कपाल, मसानक पंडित
अनुखन बिक्खाक चाह हे,
गौरी रहथु कुमारी
यध्यनपि भाल सुधाकर, सुरसरि-
बहथि बेहाल चरण धरि झरि-झरि
तध्यनपि धहधह धाह हे,
गौरी रहथु कुमारी
कोठी कोठी भाङ भकोसथि
कामरि-कामरि पानि घटोसथि
आनक की निरबाह हे,
गौरी रहथु कुमारी
भागलि, सखिगण सुनू कामेश्वसर,
गिरिजा छथि रूसलि कोबर घर
जुनि बनु एहेन बताह हे,
गौरी रहथु कुमारी
सासुर धरि शिव भाभट समटू
परिछए िदयऽ सुनू हे बङटू
बनलहुँ वर उमताह हे,
गौरी रहथु कुमारी