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सिनेह / शिव कुमार झा 'टिल्लू'

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छात्रवृतिक अंतिम खेपक
परीक्षा लेल
हमर नाओं आयल
क्षत्रधारी विद्यालय दलसिंहसराय
बड्ड नीक लागल
रोसड़ा में जौ सेंटर परितय
त' गामक तांगा सं
आयब जायब नीक नहि लगितय
आब त'...
रोसड़ा सं ट्रेन पकड़ि समस्तीपुर
फेर बड़ी लाइनक गाड़ी सं
मोन गुदगुदा गेल
बेसी नहि खाउ
आगाँ नीक मिठाइ खुआ देब
बाबूजीक बात सुनितहि
थारी उनटा देलहुँ
मायक करेज फाटि गेलनि
छौंड़ा कें हमरा पर
 कनेको दरेग़ नहीं
सिनेह कोना बूझय
जखन बापे नहि कहियो
मोजर देलक त' एकर कोन आश
साग भातक थारी उनटा क'
रसमलाइक आश में
रोसड़ा नहि रसबड़ा
मुँहक लेर पोछैत
विदा भ' गेलहुँ
श्याम केबिन में
अपन आनन्दक अनुभूति में
मायक मोन कें दुखबैत
रसमलाई संग कचरी कचरैत
आनंद आबि गेल
परमानंद वा अभयानंद
बाल मोन...
छमकैत विदा भ' गेलहुँ
रोसड़ा घाट टीशन पर ट्रेनक प्रतीक्षा
हमहू करैत छी संगहि करैत अछि
दू गोट आर नेना "सहोदर"
अवरोही क्रमक प्रतीक्षा में
हम जायब पश्चिम ओ जायत पूब
भुखायल मुँह अपरतीभ
हमरा जकाँ रसमलाई नहि खेने छल
पोटरी सं तीन गोट
टटायल सुक्खल सोहारी बाहर कयलक
देखिते छोटकाक आँखि सं
झहरय लागल स्वातिक बून
क्षणहि में नोर बिला गेल
सोहारी टटायल छै
नहि खायब
बरका गंभीर
उमेर बेसी नहि , मुदा !
गरीबक संतति नेनपन सं सोझे
वृद्धावस्था में प्रवेश क' जाइछ
ताहु पर गप्प सं बुझना गेल
पितृछाया सं विमुख छल
बरका कें पिताक अभिनय
करवाक अछि ...अवश्य करत!!!
छोटकाक माँथ हँसोथि बाजल -
चल ने गौहाटी
काल्हि सं घी मलीदा खुएबौ
मुदा एकटा गप्प सेहो सुनि ले
कतबो मलगर पूआ खेबें
"काल्हि सं मायक हाथक
ई टटायल सिनेह नहि भेंटतौ
दुनू एक दोसर कें पकड़ि क'
बिलखि रहल अछि,
छोटका हांय हांय एकटा सोहारी कें मोरि
पोटरी में बान्हि लेलक
"जाधरि गौहाटी में रहब
एहि सोहारी कें जोगा क राखब"
एहि में जोहैत रहब मायक "सिनेह"
आगाँ में राखल शेष -
दुनू सोहारी , दुनू नेनाक अश्रुकण सं
मायक सिनेहक स्मरण सं
नीर बनि खसल आ भिजा देलक
सुखल सोहारी नोर सं कोमल भ' गेल
घी दालि तीमनक कोनो काज नहि
दुन्नु नेना तिरपित भ' गेल
हम स्तब्ध छी !!
बाबूजी हमरा दिशि ताकि
हँसि रहल छथि
हम पढ़ि रहल छी
ओ दुनू मुरूख
हमर प्रतिभाक कोनो काज नहि
हम मायक सिनेह कें
तार तार क' देलहुँ
ओ दुनू मायक सिनेह कें
बोरि बोरि क' काठ बनल
सोहारी कें सहज बना देलक
ओ मुरूख बाल बंधु
हमरा सं बेसी बुद्धिमान
हम साधनशील पिताक छी -
संतान मुदा मनुज नहि
जौं ओ हमरा जकाँ
शिक्षित ओ साध्य परिवार में
जनम नेने रहितय
तं हमरा छात्रवृति...
कथमपि नहीं भेटल रहितए
कतेको एहेन दीन- सुत
ऋतुक पुष्प जकाँ
बिनु पूर्णता नेने
मुरझा जाइत अछि
ओ दुनू भाय वाह!!!!!
कतेक सिनेही ओ चिंतनशील
हम सरिपहु लजा गेल छी!
मुदा नमन करैत छियनि ओहि
माय कें जनिक कोखि सं
एहेन मातृभक्त जन्म लेलक...
हमरा छात्रवृति तं भेंटल...
कचोट सेहो एखनो धरि
विद्वान हएब सहज
कठिन होइछ तं मनुक्ख हैब