भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
टाँग कर विराम / रमेश रंजक
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:02, 20 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश रंजक |संग्रह=गीत विहग उतरा / र...' के साथ नया पन्ना बनाया)
टहनी-टहनी महकी चोंच तोतई
पीड़ा दीवार हो गई
एक गन्ध ले-ले कर नाम
अनगूँजे गीत
खोजती रही
शाखों पर टाँग कर विराम
उतर गई धूप सोनई
पीड़ा दीवार हो गई ।