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संदली अँजुरियों से / रमेश रंजक
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तुम को लौटाता हूँ
कच्ची नींदों वाली शबनमी पँखुरियों से
झील के किनारों के दिन
चम्पई सहारों के दिन ।
दो पहरी रातों के सिरहाने
वनपंखी गीतों की छाँह
सुरमई सिवानों के अधियाने
विटपों की कुन्तली पनाह
तुम को लौटाता हूँ
मालिनी हवाओं की सन्दली अँजुरियों से
हल्दिया बहारों के दिन
किशमिशी फुहारों के दिन ।