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मैथिली हाइकू / शिव कुमार झा 'टिल्लू'

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आँखिक नोर
सिनेहक संगोर
नहि झंपैछ

नदीक धार
वीर मनु कपार
आगाँ देखैछ

बाझल ताग
बिनु लयक राग
धैर्य परीक्षा

गोंगक मोन
गदराइल बोन
पटु बुझैछ

हाथीक दल
मिथिलाक संवल
एकहि रंग

भावक नाह
कर्मक पतवारि
धयने रहू

कोढ़िया मोन
परातक आशमे
आँखि मुनने

हमहीं लेब
पसाही लगाएब
कि‍छु भेटत

कोसीक मोनि‍
चारि‍ हाथक बोनि‍
बड़ गहींर

हम वि‍देह
अहाँ सभ सदेह
बड़ अंतर

भावक नाह
कर्मक पतवारि
‍ धएने रहू

नीति‍क संग
सिनेहक उमंग
चल जीवन

अथाह धार
मुदा जीवाक आश
कात लागब

आनक आँखि
शोणि‍तसँ भरल
क्षीर लगाऊ

अपन मान
नि‍रीहक पराण
रक्षाक लेल

दैहिक गुण
किओ नहि छिनय
कर्मठ बनू

चेतनशील
धोखा नहि खाइछ
सुरूज जकाँ

काबू मे राखू
मोन बड़ चंचल
क्षणे उड़य

प्राण कातर
कथी लेल घमंड
सभ नश्वर

सभ सँ पापी
मोनक मैल छैक
निर्मल राखू

माँछ बैसय
बेमार भेला पर
चलैत रहू