भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
भारत की पहचान है हिंदी / शशि पुरवार
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:03, 1 अगस्त 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शशि पुरवार |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGha...' के साथ नया पन्ना बनाया)
भारत की पहचान है हिंदी
हर दिल का सम्मान है हिंदी।
जन जन की है मोहिनी भाषा
समरसता की खान है हिंदी।
छन्दों के रस में भीगी ए
गीत गजल की शान है हिंदी।
ढल जाती भावों में ऐसे
कविता का सोपान है हिंदी।
शब्दों का अनमोल है सागर
सब कवियों की जान है हिंदी।
सात सुरों का है ए संगम
मीठा सा मधुपान है हिंदी।
क्षुधा ह्रदय की मिट जाती है
देवों का वरदान है हिंदी।
वेदों की गाथा है समाहित
संस्कृति की धनवान है हिंदी।
गौरवशाली भाषा है यह
भाषाओं का ज्ञान है हिंदी।
भारत के जो रहने वाले
उन सबका अभिमान है हिंदी।