छत्तीसगढ़ महतारी / रमेशकुमार सिंह चौहान
(यह रचना कुण्ड़लि छंद में है।)
छत्तीसगढ़ महतारी, करव तोर परनाम।
कतका सुघ्घर तोर रूप, कइसे करव बखान।।
कइसे करव बखान, मउर सतपुड़ा ह छाजे।
कनिहा करधन लोर, मकल डोंगरी बिराजे।।
पैरी साटी गोड, दण्ड़कारण छनकारी।
कतका सुघ्घर मोर, छत्तीसगढ़ महतारी।।
छत्तीसगढ़ महतारी, का जस गावन तोर।
महानदी शिवनाथ के, सुघ्घर कलकल शोर।।
सुघ्घर कलकल शोर, इंदरावती ह गावे।
पैरी खारून जोंक, घातेच सुघ्घर भावे।।
अरपा सोंढुर हाॅफ, हवय सुघ्घर मनिहारी।
लागय गा बड़ नीक, छत्तीसगढ़ महतारी।।
छत्तीसगढ़ महतारी, सुघ्घर पावन धाम।
उत्ती राजीव लोचन, हवय नयनाभिराम।।
हवय नयनाभिराम, दिशा बुड़ती बम्लाई।
अम्बे हे भंडार, अम्बिकापुर के दाई।
देख हवे रकसेल, दंतेसरी महतारी।
देवय गा असीस, छत्तीसगढ़ महतारी।।
छत्तीसगढ़ महतारी, तोर कोरा म संत।
कतका देव देवालय, कतका साधु महंत।।
कतका साधु महंत, डेरा दामाखेड़ा।
कबीर निगुर्ण भक्ति, अलख जगाय कर फेरा।।
साधक हे सतनाम, गिरौधपुरी सुखकारी।
सबला देवय ज्ञान, छत्तीसगढ़ महतारी।।
छत्तीसगढ़ महतारी, जस गावन हम तोर।
आनी बानी गीत ले, जग बगरावन सोर।।
जग बगरावन सोर, देश दुनिया मा दाई।
सुवा ददरिया गीत, फाग जस कर्मा भाई।।
पंथी डंडा नाच, हमर सुघ्घर चिनहारी।
करे जयकार सबो, छत्तीसगढ़ महतारी।।
छत्तीसगढ़ महतारी, कतका हवस महान।
ये कोरा लइका हवे, निचट भोला सुजान।।
निचट भोला सुजान, कपट छल छिद्र भुलाये।
मनखे मनखे मान, सबो ला ओमन लुभाये।।
‘रमेश‘ नवावय माथ, करत हे जी बलिहारी।
जय हो जय हो तोर, छत्तीसगढ़ महतारी।।