भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

राम राम / रणजीत साहा / सुभाष मुखोपाध्याय

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:46, 11 अगस्त 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुभाष मुखोपाध्याय |अनुवादक=रणजी...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कुत्ते का मांस-कुत्ते नहीं खाते।
पूँछ नीची कर
वे तकते हैं-एक दूसरे की ओर
हू-ब-हू एक
जैसे कि वे एक दूसरे के आईने हैं।

राम राम!
तोप के पहिये में चाहिए थोड़ा-सा तेल।
अभी तक तो बड़ी मौज-मस्ती से चलता रहा निज़ाम
अब शैतानों को बाहर खदेड़ने की है ज़रूरत
चाहिए एक ज़बरदस्त सरकार
बन्दूक सरकार
जिसके मन्त्री हों जल्लाद
इसके बाद ही देखा जाएगा,
कि ज़मीन का स्वाद
भूल जाता है कि याद रखता है
रोके से न रुकनेवाला, आज़ाद
छोटा-सा तेलंगाना।