विपत्ति ग्रसित हुलांन या हालैंड / मुंशी रहमान खान
ताप तत्त्व निधि ईश की वर्ष ईस्वी जान।
मास भूमि तिथि मास मृत्यु परी अति विपति हुलांन।। 1
बड़ी विपति में पड़ा हुलांन।
हाय ! अजगैबी चढ़ा तुफान।। टेक।।
छप्पय-कबहुँ हुलांन अस विपति न पाई।
नहिं इतिहास ने दीन्ह गवाही।।
अवशहिं ईश्वर होय सहाई।
और करै कल्यान, हाय ! अजगैबी चढ़ा तुफान।। 1
सब कोई विनय करहुँ ईश्वर से।
यह दुख टरै हुलांन के सिर से ।।
धन जन सुख पूरन हों फिर से।
औरहु बरसै रहमत शान, हाय ! अजगैबी चढ़ा तुफान।। 2
सन् उनइस सौ तिरपन्ना।
तिथि उनतिस जनवरी महीना।।
लग्यो ग्रहण गुरुवार चन्द्रैना।
देखी रब की शान, हाय ! अजगैबी चढ़ा तुफान।। 3
देखा चंद्र ग्रहण सब जग में।
बड़े बडे़ पंडित रहे यूरुप में।।
नहिं जाना फल चंद्रग्रहण में।
नहिं कछु कीन्ह बयान, हाय ! अजगैबी चढ़ा तुफान।। 4
शनिश्चर समय रात्रि को आयो।
चली आंधी सागरहिं जगायो।।
जल ऊपर जलयान हिलायो।
सिंधु जोश लख हुए हैरान, हाय ! अजगैबी चढ़ा तुफान।। 5
उठीं लहर सागर महं भारीं।
थापै जबर बाँध में मारीं।।
लख कर डरे नगर नर नारीं।
बहु पानी उफलांन, हाय ! अजगैबी चढ़ा तुफान।। 6
सिंधु धार ने जोर लगायो।
बुद्धिमानों का जिय घबरायो।
अक्ल हुनर कछु काम न आयो।
तोड़ दीन्ह पक्का बंधान, हाय ! अजगैबी चढ़ा तुफान।। 7
चली धार मार कर हल्ला।
दीन्ह बहाय शहर का गल्ला।।
डूबे गाँव अरु गली मुहल्ला।
गिर गए महल बने आलीशान, हाय ! अजगैबी चढ़ा तुफान।। 8
कठिन कराल सिंधु की धारा
भर गया पानी देश झंझारा।।
विधि कर लिखा को मेटन हारा।
कर दिए पल में नाश किसान, हाय ! अजगैबी चढ़ा तुफान।। 9
विनती करहुँ दुहूँ कर जोरी।
क्षमियो नाथ पाप हम धोरी।।
पड़ा हुलांन शरन अब तोरी।
कर सहाय तू है रहमान, हाय ! अजगैबी चढ़ा तुफान।। 10
देखी विपति शीश पर आई।
नर नारी बालक घबराई।।
छाती पीटें अरु चिल्लाई।
कहें बचाय लेहु भगवान, हाय ! अजगैबी चढ़ा तुफान।। 11
कोई सोवै कोइ जागत रहई।
गली घाट कोइ आवत जाई।।
सब को जल ने दीन्ह बहाई।
नहीं कोई चीन्हें आप बिरान, हाय ! अजगैबी चढ़ा तुफान।। 12
सब खेती जल दीन्ह डुबाई।
पशु पक्षी छिन मात्र बिलाई।।
कोई विधि से नहीं होय सहाई।
मर मर कर लाशें उतरान, हाय ! अजगैबी चढ़ा तुफान।। 13
लाशें लहर किनारे कीन्हीं।
कछु चीन्हीं कुछ जाँय न चीन्हीं।।
जौन मिलीं मिट्टी दै दीन्हीं
साढे़ तेरह सौ परमान, हाय ! अजगैबी चढ़ा तुफान।। 14
जहाज रहे वहं लंगर डाले।
डगममग डगमग करें बिचारे।।
तोड़ दीन्ह तूफान ने सारे।
नाश भए भारी जलयान, हाय ! अजगैबी चढ़ा तुफान।। 15
कोई तरुवर कोइ घर पर चढ़ गए।
कोइ कोई निज भुइं धरा में चल गए।।
बड़े पैरैय्या धार में पड़ गए।
भूल गए सारे अवसान, हाय ! अजगैबी चढ़ा तुफान।। 16
बड़ी विपत्ती का पड़ा सामना।
कोइ अक्कल कुछ करै काम ना।।
दीन्ह खबर चहुं ओर तार मा।
सुनकर रोया सकल जहान, हाय ! अजगैबी चढ़ा तुफान।। 17
पाय खबर अमेरिका आयो।
सुन जर्मन इंगलेंडहु धायो।।
सबै पड़ोसी दौड़न आयो।
कीन्ह सहाय दीन्ह वायुयान, हाय ! अजगैबी चढ़ा तुफान।। 18
उडे़ मशीन आकाश के माहीं।
पकडे़ जन जहं पर मिल जाहीं।।
चहै तरुवर चहै जल पर काहीं।
दुइ सौ चवालिस उड़े वायुयान, हाय ! अजगैबी चढ़ा तुफान।। 19
जल ऊपर जलयानहु धावें।
जिंदा या मुर्दा मिल जावें।।
तुरत हिं पकड़ जहाज चढ़ावें।
दुइ सहस्र घूमें जलयान, हाय ! अजगैबी चढ़ा तुफान।। 20
घटना बहुत भईं जग माहीं।
अस विपदा कोई झेली नाहीं।।
जस हुलांन के सिर पर आहीं।
नहिं देखी नहिं सुनी है कान, हाय ! अजगैबी चढ़ा तुफान।। 21
हुलांन की मिलकर करहुँ सहाई।
अन्न धन वस्तर जो ह्वै जाई।।
दीन दुखी को दो पहुँचाई।
सब से बड़ा यही महादान, हाय ! अजगैबी चढ़ा तुफान।। 22
सब मुल्कन से धन बहु आयो।
कोई अन्न कोई वस्तर भिजवायो।।
क्वीन युलियाना को समुझायो।
मत घबड़ा रक्षक भगवान, हाय ! अजगैबी चढ़ा तुफान।। 23
हमहूं संग क्वीन का देवें।
उनकी विपदा हम सह लेवें।।
उन पर तन धन जी दै देवें।
हैं शामिल अब्दुल रहमान, हाय ! अजगैबी चढ़ा तुफान।। 24
है ईश्वर से विनती मोरी।
क्वीन पै नेक नजर रहै तोरी।।
विपति हुलांन की लेहु बटोरी।
देहु सुख्य की खान बरसै तेरी रहमत शान।।
हो हुलांन का नित कल्यान, यही विनय अब्दुल रहमान।। 25